जांजगीर चाम्पा@-आज से शारदीय नवरात्रि का आरंभ हो गया है और आज नवरात्रि की पूजा का पहला दिन है। आज मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा पूरे विधि-विधान से की जाएगी और आज ही लोगों के घर में घट स्थापना की जाएगी। नवरात्रि में आदिशक्ति मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है। आदिशक्ति की उपासन के कई नियम और विधियां हैं। मान्यता है कि आदिशक्ति की पूजा करने से हमारे संकट दूर होते हैं और मां की विशेष कृपा होती है।आज से शारदीय नवरात्रि का आरंभ हो गया है और आज नवरात्रि की पूजा का पहला दिन है। आज मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा पूरे विधि-विधान से की जाएगी और आज ही लोगों के घर में घट स्थापना की जाएगी। नवरात्रि में आदिशक्ति मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है। आदिशक्ति की उपासन के कई नियम और विधियां हैं। मान्यता है कि आदिशक्ति की पूजा करने से हमारे संकट दूर होते हैं और मां की विशेष कृपा होती है।
आपको बता दें कि नवरात्रि में नौ देवियों की पूजा का विधान है प्रथम दिन माता शैलपुत्री की उपासना होती है, ये ही नवदुर्गा में प्रथम दुर्गा हैं। इस प्रथम दिन की उपासना में योगी अपने मन को ‘मूलाधार’ चक्र में स्थित करते हैं, पौराणिक कथा के अनुसार, पूर्व जन्म में मां शैलपुत्री का नाम सती था और वे भगवान शिव की पत्नी थीं।
मां शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री थीं। सफेद वस्त्र धारण किए मां शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल शोभायमान है। मां के माथे पर चंद्रमा सुशोभित है।
यह नंदी बैल पर सवार संपूर्ण हिमालय पर विराजमान हैं। शैलपुत्री मां को वृषोरूढ़ा और उमा के नामों से भी जाना जाता है। देवी के इस रूप को करुणा और स्नेह का प्रतीक माना गया है। घोर तपस्या करने वाली मां शैलपुत्री सभी जीव-जंतुओं की रक्षक मानी जाती हैं।
आपको बता दें कि नवरात्रि में नौ देवियों की पूजा का विधान है प्रथम दिन माता शैलपुत्री की उपासना होती है, ये ही नवदुर्गा में प्रथम दुर्गा हैं। इस प्रथम दिन की उपासना में योगी अपने मन को ‘मूलाधार’ चक्र में स्थित करते हैं, पौराणिक कथा के अनुसार, पूर्व जन्म में मां शैलपुत्री का नाम सती था और वे भगवान शिव की पत्नी थीं।
मां शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री थीं। सफेद वस्त्र धारण किए मां शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल शोभायमान है। मां के माथे पर चंद्रमा सुशोभित है।
यह नंदी बैल पर सवार संपूर्ण हिमालय पर विराजमान हैं। शैलपुत्री मां को वृषोरूढ़ा और उमा के नामों से भी जाना जाता है। देवी के इस रूप को करुणा और स्नेह का प्रतीक माना गया है। घोर तपस्या करने वाली मां शैलपुत्री सभी जीव-जंतुओं की रक्षक मानी जाती हैं।
